दर्द मीठी ज़बाँ पे रख आए तीर या'नी कमाँ पे रख आए एक लम्हे ने मार ली बाज़ी लफ़्ज़ उस की ज़बाँ पे रख आए रक़्स करते थे चाँद के पाँव कुछ सितारे वहाँ पे रख आए इश्क़ ऐसे मक़ाम पर लाया सर को नोक-ए-सिनाँ पे रख आए दिल की दहलीज़ पर जो रौशन था वो 'दिया' तुम कहाँ पे रख आए