एक मुद्दत से सर-ए-दोश-ए-हवा हूँ मैं भी इतना शफ़्फ़ाफ़ कि हम-रंग-ए-फ़ज़ा हूँ मैं भी तू भी वाक़िफ़ मिरी तासीर के महशर से हे और मिन्नत-कश-ए-अल्ताफ़-ओ-अता हूँ मैं भी तू मनादिर के सिंघासन पे ब-सद इज़्ज़-ओ-वक़ार फूल की थाल में लौ देता दिया हूँ मैं भी तू भी इज़हार-ए-तअ'ल्लुक़ के सबब ढूँडता है शिद्दत-ए-शौक़ से जोया-ए-रज़ा हूँ मैं भी हरम-ए-नाज़ की चिलमन से उलझने वाली दिल-ए-बेताब-ए-मोहब्बत की दुआ हूँ मैं भी मुश्तरी मेरा भी आएगा ये मैं जानता हूँ पहले बाज़ार में आने से बिका हूँ मैं भी हो जो यक-पहलू-ओ-यक-रंग नहीं है तू 'शहाब' शो'ला-ओ-शबनम-ओ-सीमाब-ओ-सबा हूँ मैं भी