दर्द ये दिल का हमें तंग किए रहता है कोई ख़ुशबू की तरह संग किए रहता है हाए क्या ख़ूब मुसव्विर है वो ऊपर वाला फूल-पत्तों पे कई रंग किए रहता है प्यार से उस ने बनाई है ये प्यारी दुनिया क्यों ये इंसान मगर जंग किए रहता है जिस की आहट से रग-ए-जाँ पे धमक होती है दिल की धड़कन को वही चंग किए रहता है उस के आने से शब-ओ-रोज़ महक उठते हैं सारे आलम को वो ख़ुश-रंग किए रहता है रंग है नूर है अफ़्शाँ हैं चराग़ाँ सारे वो तसव्वुर को भी गुल-रंग किए रहता है छेड़ देता है वो जो साज़-ए-मोहब्बत 'रिंकी' गीत ग़ज़लों में नए रंग किए रहता है