दयार-ए-हुस्न की हंगामा-सामानी नहीं जाती परेशाँ कार-ए-उल्फ़त की परेशानी नहीं जाती मुसल्लम हैं हज़ारों दास्तानें हुस्न को लेकिन वहाँ जो आशिक़ी की बात हो मानी नहीं जाती क़ुबूल-ए-तौबा-ओ-अफ़्व-ए-गुनह सब कुछ सही लेकिन कभी ना-कर्दनी की ख़ुद पशेमानी नहीं जाती मोहब्बत वो मुसीबत है कि जिस पर बस नहीं चलता ब-आसानी ये आती है ब-आसानी नहीं जाती मिरी तस्वीर-ए-वहशत ले के अब अहबाब क्या लेंगे ये दीवाने की सूरत है जो पहचानी नहीं जाती शब-ए-ग़म माँद पड़ जाती है जब महफ़िल सितारों की हमारे दाग़-हा-ए-दिल की ताबानी नहीं जाती गरेबाँ-चाक सहरा-गर्द शोरिश क़ैदी-ए-ज़िंदाँ बहर-सूरत जुनूँ की फ़ित्ना-सामानी नहीं जाती क़यामत के सिवा क्या होगा उस की बे-हिजाबी में कि जिस की इक झलक से दिल की हैरानी नहीं जाती न बोल इस पर हवा-ए-दहर की इक लहर है ये भी हँसी आई तो क्या गुल की परेशानी नहीं जाती हज़ारों यास-ओ-हिरमाँ दर्द-ओ-ग़म का है हुजूम इस में मिरे वहशत-कदे की फिर भी वीरानी नहीं जाती मोहब्बत 'शाकिर' अपने साथ आह-ओ-गिर्या लाई है मिरी आदत है ये आदत ब-आसानी नहीं जाती