देख दरवाज़े से मुझ को वो परी-रू हट गई देखते ही उस के मेरी जान बस चट-पट गई तुम उधर धोते रहे मुँह हम इधर रोते रहे रोते-धोते दो घड़ी बारे मज़े से कट गई गर्द-ए-कुल्फ़त बस-कि छाई दिल से ता आँखों तलक नहर थी जारी जो आँखों की मिरे सो पट गई जी अदा ने ज़ुल्फ़ ने दिल होश ग़मज़ों ने लिया जिंस-ए-हस्ती अपनी सब ग़ारत में आ कर बट गई पर्दे ही पर्दे में दिल को ख़ाक कर डाला मिरे इस अदा से वो परी मुँह पर लिए घुँघट गई ज़ुल्फ़ गर छिदरी हुई तेरे तो मत खा पेच-ओ-ताब क्या हुआ अज़-बस उठाए बोझ दिल के लुट गई कल जो मेरा ख़ुश-निगह गुज़रा चमन से ऐ 'हसन' मूँद ली बादाम ने आँख और नर्गिस कट गई