देख हुस्न-ए-यार की रानाइयाँ कू-ब-कू आशिक़ की वो रुस्वाइयाँ बज़्म में औरों के हैं वो जल्वा-गर और नसीबे में मिरे तन्हाइयाँ उम्र सारी थी हक़ीक़त की तलाश मुझ को मंज़िल पर मिलीं परछाइयाँ अश्क दुख मजनूँ की क़िस्मत थे तो क्यों हुस्न-ए-लैला पा गया ज़ेबाइयाँ सोग है आशिक़ का कू-ए-यार में बज रही हैं शाम से शहनाइयाँ 'अख़्तर' उन की याद से आबाद दिल रश्क-ए-बज़्म-ए-ग़ैर ये तन्हाइयाँ