देखें अब क्या दिल-जलों से बोल बोले जाएँगे लाग ही से फूट क्या दिल के फफोले जाएँगे है यहाँ पैमाना माल-ओ-नक़्द ही लेकिन वहाँ ज़र्फ़ की मीज़ान पर ही लोग तोले जाएँगे मशअल-ए-माज़ी दिखा सकती है मुस्तक़बिल की राह है ये कुंजी जिस से सारे क़ुफ़्ल खोले जाएँगे याद रखने के लिए लम्हे गुज़िश्ता वक़्त के अब किताब-ए-माज़ी के पन्ने टटोले जाएँगे तौबा तौबा किस क़दर मुँह से टपकती है शकर इस ज़बाँ से मीठे मीठे ज़हर घोले जाएँगे रूह की बोसीदगी को दफ़्न करने के लिए देखिएगा बदले किस किस तन के चोले जाएँगे है सराहा ख़ूब ये पैवंद-कारी का हुनर रिश्ता-दर-रिश्ता सभी अब पेच खोले जाएँगे पेंग बढ़ती जाए अमराई में ज्यूँ ज्यूँ दिन चढ़े शाम होते तक उतारे सब हिंडोले जाएँगे लीजिए दीवान-ए-'नाक़िद' आप ही के नाम है हम कहाँ इन बे-तुके अशआ'र को ले जाएँगे