देखी दिल दे के क़द्र-दानी बस बंदा-नवाज़ मेहरबानी होनी है बाज़-पुर्स-ए-आमाल कहनी है बहुत बड़ी कहानी शो'ले उठते हैं उस्तुख़्वाँ से अल्लाह रे सोज़िश-निहानी सूना है गोशा लहद में हाँ हाँ वो रात भी है आनी ओ वा'दा-ख़िलाफ़ सालहा-साल आँखों ने की है पासबानी आई पीरी पयाम-ए-रुख़्सत बढ़ती जाती है ना-तवानी मस्ताना-सरी 'नसीम' कब तक आख़िर आख़िर है नौजवानी