देखो क्या दीवाना है By Ghazal << ख़ुद को समेटने में थी इतन... होते रहे हैं रद्द-ओ-बदल इ... >> देखो क्या दीवाना है अपना आप निशाना है यूँ तो साथ ज़माना है पर ख़ुद से बेगाना है उस को क्या समझाओगे वो ख़ुद एक सियाना है वो इतने दिन बाद मिला मुश्किल से पहचाना है तुम से घर कहलाता था अब तो सिर्फ़ घराना है Share on: