धड़का है राह-ए-ग़म में मिरा दिल जगह-जगह दा'वा हुआ है ज़ब्त का बातिल जगह-जगह खोया गया हूँ राह-ए-वफ़ा में कुछ इस तरह फिरती है ढूँढती मुझे मंज़िल जगह-जगह बस इक निगाह-ए-लुत्फ़ की हसरत लिए हुए फिरता हूँ बन के हुस्न का साइल जगह-जगह तूफ़ान-ए-बहर-ए-ग़म में यूँही डूब-डूब कर पैदा किए हैं इश्क़ ने साहिल जगह-जगह जीते बने है ग़म में न मरते बने है अब दरपेश है बस इक यही मुश्किल जगह-जगह रंग-ए-शफ़क़ ये ताबिश-ए-अंजुम ये बू-ए-गुल है ख़ून-ए-आरज़ू मिरा शामिल जगह-जगह देखे तो कैसे हुस्न-ए-हक़ीक़त-निशाँ को आँख पर्दे हैं एहतियात के हाइल जगह-जगह है ज़र्रा-ज़र्रा ख़ाक का इक हश्र दरकिनार इरफ़ान-ए-ग़म हुआ मुझे हासिल जगह-जगह आलम वो शौक़ का है कि रुकते नहीं क़दम माना कि ग़म है दिल से मुक़ाबिल जगह-जगह इस जुस्तुजू-ए-हुस्न ने आवारा कर दिया फिरता है मुझ को ले के मिरा दिल जगह-जगह 'साहिर' मुझे मलाल किसी से हो किस लिए मेरे सुख़न के आज हैं क़ाइल जगह-जगह