धरती से आकाश मिला दो By Ghazal << अरसा-ए-ख़्वाब से उठ हल्क़... आँखों में सितारे रहने दे >> धरती से आकाश मिला दो मुझ को मेरा आज पता दो तन तो ख़ुद ही मिट जाएगा मन पापी है इस को सज़ा दो मेरा बच्चा ज़िद करता है बाबा मुझ को सूरज ला दो मैं ने अपना क़त्ल किया है सपना है ताबीर बता दो अपना मातम ख़ुद कर लूँगा मुझ को मेरी लाश दिखा दो Share on: