दिखाई एक से देंगे सो करना सुन के अलग वो अपनी धुन के अलग हैं हम अपनी धुन के अलग हम ऐसे लोग क़बाएँ हैं बढ़ते बच्चों की कि जिन को रख दिया जाता है पहले बुन के अलग इसी लिए तो जुदाई भी ख़ुश-गवार रही बहुत से ग़म थे हमारे अलग और उन के अलग ये नासेहों को मैं अब फ़ारसी में समझाऊँ 'अज़ाब कुन के अलग होते हैं मकुन के अलग उन्हीं के साथ मैं करता हूँ अब जुगलबंदी कुछ एक लोग जो होते हैं अपनी धुन के अलग गुलों को रौंदने वालो उन्हें भी याद करो जो लोग कर गए तलवों से ख़ार चुन के अलग दिल इक परिंदा है ख़ूराक उस की एक सी रख वगरना बारहा माँगेगा दाने दुनके अलग जो गुज़री दाने पे दाना ही जानता है 'अमित' भुना है हो के अलग या हुआ है भुन के अलग