दिल चाक-चाक इश्क़ में है सीना दाग़-दाग़ इस चाक-ओ-दाग़ से हो ख़ियाबान बाग़-बाग़ क्यों दाग़ को न हो मिरे दिल की क़बा पसंद सहरा-ए-वहशतों से ये दिल और कुलाग़ दाग़ चाक-ए-दिल-ओ-जिगर में बसा जब से सोज़-ए-इश्क़ जलती है आग इश्क़ से और हैं उजाग़ दाग़ फ़ुर्क़त में तेरी साक़िया ग़म का हूँ मेहमाँ मेरी शराब ख़ून-ए-जिगर है अयाग़ दाग़ होते हैं लाख नाज़ रफ़ीक़-ए-शफ़ीक़ को बेजा नहीं है दिल से करे गर दिमाग़ दाग़ मैं तेरे दूद-ए-ज़ुल्फ़ से ऐ शम्अ तीरा-रोज़ मेरी शब-ए-सियह से फ़लक का चराग़ दाग़ अपना सबक़ हमेशा रहा ऐन-ओ-शीन-ओ-क़ाफ़ तहसील से हमारी हैं अहल-ए-दिमाग़ दाग़ रहज़न तरीक़-ए-शौक़ में है ख़्वाहिश-ए-दलील गर आतिश-ए-तलब है ज़बान-ए-सुराग़ दाग़ जाँ-सोज़-तर था वस्ल 'शहीदी' फ़िराक़ से आशिक़ की सैर-गश्त से हैं बाग़ दाग़-दाग़