दिल दुखों के हिसार में आया जब्र कब इख़्तियार में आया दे उसे भी फ़रोग़-ए-हुस्न की भीक दिल भी लग कर क़तार में आया ख़ूब है ये इकाई भी लेकिन जो मज़ा इंतिशार में आया देखता है न पूछना है कोई अजनबी किस दयार में आया ये तो जानें मुक़द्दरों वाले कौन किस के मदार में आया शाख़ पर एक फूल भी 'ताबिश' मुझ से मिलने बहार में आया