दिल-ए-ख़ाना-ख़राब आएगा और हम पर अज़ाब लाएगा मुसहफ़-ए-रुख़ से उस को क्या मतलब शैख़ तो बस किताब लाएगा ईद के दिन तो तू गले मिल ले मुफ़्त अज्र-ओ-सवाब पाएगा छोड़ कौसर की उन के लब से पी बे-हिसाब-ओ-किताब पाएगा ज़िक्र जन्नत का मुँह से वाइज़ के हूर से इज्तिनाब लाएगा हूर-ओ-जम्हूर ऐ मआ'ज़-अल्लाह क्या न तुम को हिजाब आएगा उस परी को न छेड़ ऐ 'नक़वी' और दिल पर अज़ाब आएगा