दिल-ए-रक़ीब तो देखा मिरा जिगर देखें उधर के देखने वाले ज़रा इधर देखें किसी के हुस्न पे हैं ऐसी शेफ़्ता आँखें परी जो सामने आए न एक नज़र देखें अभी नहाए हैं कपड़े बदलने बैठे हैं मजाल क्या है हमारी जो हम उधर देखें हज़ारों सूरत-ए-मूसा हैं तालिब-ए-दीदार जो एक हो तो वो देखें किधर किधर देखें हमारे दिल में जो हसरत है जो तमन्ना है न मानेंगे न सही आज अर्ज़ कर देखें कोई जगह नहीं ख़ाली है तेरे जल्वे से कहाँ कहाँ तुझे देखें किधर किधर देखें जो इज़्तिराबी-ए-दिल का न हो यक़ीन उन को हमारी तरह से वो भी किसी पे मर देखें रक़ीब आइना 'नौशाद' और दिल-ए-'नौशाद' वो एक देखने वाले किधर किधर देखें