दिल को तस्कीं हो गई है सामने आने के बाद जान जाएगी हमारी आप के जाने के बाद मुझ से दीवाने को समझाना उसी का काम है ख़ुद समझ जाएगा नासेह मुझ को समझाने के बाद तुझ से पहले मिट चुके हैं कैसे कैसे नामवर नाम तेरा भी न लेगा कोई मर जाने के बाद मेहमाँ होते थे जब वो दिल पे बस रहता न था एक दिन आने के पहले एक दिन जाने के बाद उठ गए बालीं से तुम बीमार का ये हाल था आँख में आँसू भरे थे होश में आने के बाद तुझ को ऐ शैख़-ए-हरम का'बा मुबारक हो तिरा दूसरा घर हम नहीं देखेंगे मय-ख़ाने के बाद शर्म से गर्दन झुका कर चुटकियाँ लेने लगी शोख़ियाँ करने लगे फिर आप शरमाने के बाद हम कहा करते हैं उन के कूचे में हर एक से दफ़्न कर देना यहीं पर हम को मर जाने के बाद ज़ुल्म से अपने पशेमान आख़िरश होना पड़ा झुक गईं उन की निगाहें लाश पर आने के बाद हो गए सैराब पी कर ख़ून-ए-दिल ऐ इश्क़ हम ख़ूब आसूदा हुए लख़्त-ए-जिगर खाने के बाद मुझ को मरने का नहीं ग़म रंज है इस बात का ज़ुल्म वो किस पर करेंगे मेरे मर जाने के बाद इश्क़ में अफ़्सुर्दा हो कर दिल का होता है वो रंग फूल का जो हाल हो जाता है मुरझाने के बाद सर झुका कर लाश पर आए हैं किस अंदाज़ से वो दवा करने जो आए भी तो मर जाने के बाद रास्ते से वो पलट कर आ रहे हैं किस लिए क्या ख़याल आया उन्हें 'नौशाद' घर जाने के बाद