दिल है एक ही लेकिन नाम-ए-दिल बदलता है सज गया तो गुलशन है लुट गया तो सहरा है मेरा दर्द-ए-महरूमी इक नया तक़ाज़ा है इश्क़ राएगाँ क्यों हो तुम नहीं तो दुनिया है हुस्न है बहारें हैं शौक़ है तमाशा है आशिक़ी की निस्बत से ज़िंदगी गवारा है दर्द-ओ-ग़म की राहों में साथ छोड़ना कैसा दूर तक चले आओ दूर तक अंधेरा है कल तिरे तसव्वुर ने महफ़िलें सजाई थीं आज दिल की दुनिया में तेरी याद तन्हा है ज़ुल्मतों का रोना क्या अहल-ए-कारवाँ होश्यार उस तरफ़ हैं रहज़न भी जिस तरफ़ उजाला है रौशनी में ढलती है दिल के ख़ून की सुर्ख़ी तब कहीं सर-ए-मिज़्गाँ इक चराग़ जलता है गर्द-ए-राह-ए-इंसाँ हैं माह-ओ-कहकशाँ 'शाहिद' जुस्तुजू-ए-पैहम का हश्र किस ने देखा है