दिल हो गया फफूला प्यारे तमाम जल के क्या तुझ निहाल से हों उम्मीद-वार फल के तन्हा न दिल मिरे ने ज़ुल्फ़ों से ताब खाया गुलशन के बीज सुम्बुल खाता है ताब बल के ऐसे तिरे झमकते दाँतों को देख प्यारे पानी हो जाए मोती मारे न क्यूँ कि झलके क्या जानता था मुझ को रुस्वा करेंगे सब में ये तिफ़्ल-ए-अश्क मेरे आँखों के बीच पल के