दिल जलाओ न मियाँ रहने दो फैल जाएगा धुआँ रहने दो बे-वजह तुम न उछालो मुझ को यूँही बेनाम-ओ-निशाँ रहने दो मैं ने की ताज-महल की ता'मीर कौन है शाह-जहाँ रहने दो ताज़ा चिंगारियाँ भर दो इस में ज़ह्न को शो'ला-फ़िशाँ रहने दो आस्तीनों में छुपे हैं ख़ंजर दोस्त हैं दुश्मन-ए-जाँ रहने दो तुम करिश्मे न दिखाओ 'किशवर' ख़ूब वाक़िफ़ है जहाँ रहने दो