दिल के लुटने पे क्या करे कोई किस से जा कर पता करे कोई सोचता हूँ कि किस भरोसे पर जान तुम पर फ़िदा करे कोई या'नी उम्र-ए-ख़िज़र तो हासिल हो चंद साँसों का क्या करे कोई एक ही तो सदा-ए-मजनूँ है मेरे दुख की दवा करे कोई उस पे लाज़िम उसी का हो जाना जिस को कुछ भी अता करे कोई कोई रस्ता निकल ही आता है इक ज़रा आसरा करे कोई गाह चलती ब-गाह रुकती है ऐसी धड़कन का क्या करे कोई जूँ फ़रिश्ता अजल का आता है ऐसे वादा-वफ़ा करे कोई सख़्त मुश्किल है फ़िल-बदीह कहना छेद हीरे में क्या करे कोई