दिल के रिश्ते अजीब होते हैं दूर रह कर क़रीब होते हैं मंज़िल-ए-इश्क़ है मुहाल बहुत हर क़दम पर सलीब होते हैं शाम-ए-फ़ुर्क़त के जागने वाले ग़म के मारे अजीब होते हैं आप हैं मेरी ज़िंदगी वर्ना आप किस को नसीब होते हैं फ़ासले से मिला करो सब से दोस्त भी तो रक़ीब होते हैं मेहरबाँ जिस के हाल पर तुम हो बस वही ख़ुश-नसीब होते हैं राह-ए-उल्फ़त में 'आश्ना' अक्सर हादसे कुछ अजीब होते हैं