होश-ओ-ख़िरद के ग़म से बेगाना हो गया हूँ मैं तेरी आरज़ू में दीवाना हो गया हूँ इफ़्शा हुआ है जब से उल्फ़त का राज़ मेरा हर शख़्स की ज़बाँ पर अफ़्साना हो गया हूँ जी भर के मेरे दिल पर जौर-ओ-सितम करो तुम मैं लज़्ज़त-ए-जफ़ा से अन-जाना हो गया हूँ ये बेबसी है मेरी या बे-हिसी है मेरी दुनिया की हर ख़ुशी से बेगाना हो गया हूँ रौशन है दिल की दुनिया जिस के जमाल-ए-रुख़ से उस शम्अ-ए-आरज़ू का परवाना हो गया हूँ पूछो न मुझ से लोगो रूदाद-ए-ज़िंदगानी गुलशन था प्यार का अब वीराना हो गया हूँ तुम 'आश्ना' हो मुझ से तुम भी तो कुछ बताओ हर शख़्स कह रहा है दीवाना हो गया हूँ