दिल खो गया हमारा किसी से मिला के हाथ हो दस्तरस तो काटिए दुज़्द-ए-हिना के हाथ इक तस्मा रह गया है रग-ए-जाँ का लगा हुआ झूटा पड़ा है आह कहाँ उन का जा के हाथ हाथों पे हम को नाग खिलाने की मश्क़ है छूते हैं हम जभी तिरे गेसू बढ़ा के हाथ फैला ले पाँव खोल के दिल ऐ शब-ए-फ़िराक़ बैठे हैं हम भी ज़ीस्त से अपनी उठा के हाथ क्यूँ हाथ-पाँव मेरे ख़ुशी से न भूल जाएँ उँगली चुभूवे हाथ में जब वो मिला के हाथ वो आड़े हाथों लूँ कि अकड़ सारी भूल जाए मुँह की न खाना शैख़-जी हम से मिला के हाथ सरसों जमानी हाथों पे यूँ सीख ले कोई दिल से मिला लिया है दिल उन से मिला के हाथ ये बेकसी के हाथों हुआ है हमारा हाल पैग़ाम भेजते हैं हम उन को सबा के हाथ 'कैफ़ी' न नाज़ुकी पे तुम इस बुत की भूलना देखे नहीं अभी किसी नाज़ुक-अदा के हाथ