दिल की बेचैनियों से ख़तरा है ग़म की परछाइयों से ख़तरा है जल रहे हैं दिए हवाओं में आग को पानियों से ख़तरा है दूर कर देंगी एक दिन तुझ से तेरी मन-मानियों से ख़तरा है रंज-ओ-आलाम साथ रखता हूँ घर को वीरानियों से ख़तरा है इस लिए आस-पास हूँ तेरे तेरी तन्हाइयों से ख़तरा है आरज़ू जुस्तुजू तमन्ना तलब ऐसी बीमारियों से ख़तरा है दिल को मुट्ठी में क़ैद कर रखिए इस को आज़ादीयों से ख़तरा है देख कर दिल हुआ है दीवाना तेरी अंगड़ाइयों से ख़तरा है दिल लगाने का सोचता हूँ मगर हश्र-सामानियों से ख़तरा है दश्त-ओ-सहरा हैं अब ठिकाना 'फहीम' मुझ को आबादियों से ख़तरा है