हालात का रुख़ ख़ुद ही बदल जाएगा इक दिन जादू मिरे अफ़्कार का चल जाएगा इक दिन वो मेरा ख़ुदा है तो मिरे दिल में रहेगा मा'बूद दिगर हो तो निकल जाएगा इक दिन सोचा तो न था इश्क़ के अंजाम से पहले मौसम की तरह वो भी बदल जाएगा इक दिन वो अज़्म का पत्थर हो कि उम्मीद का आहन हालात की गर्मी से पिघल जाएगा इक दिन उस ने भी मोहब्बत में बड़े दर्द सहे हैं वो भी तो मिरी तरह सँभल जाएगा इक दिन हाथों की लकीरों से उभरता हुआ नक़्शा हाथों से तिरे ख़ुद ही निकल जाएगा इक दिन