दिल की ज़बाँ से उस को सदा देना चाहिए बैठे गला तो ऐसे बुला लेना चाहिए नज़रें चुरा बचा के उठा लेना चाहिए औरों के दर्द का भी मज़ा लेना चाहिए बिस्तर पे आसमान के ठिठुरे है चंद्र-मा बादल इधर-उधर से दबा लेना चाहिए काँधे समय के बोझ से शल हो गए तो क्या ये बोझ मुस्कुरा के उठा लेना चाहिए कुछ गुमरही तुम्हें पे नहीं फ़र्ज़ रहरवो मंज़िल को भी तो राह में आ लेना चाहिए ऐसे बुज़ुर्ग बख़्त रहा जिन का ना-रसा ऐसों से ज़िंदगी की दुआ लेना चाहिए आइना तक तो उल्टी कहे है अगर फ़रेब खाना हो कोई दोस्त बना लेना चाहिए उन को पराए 'अश्क' लगें हैं अगर अज़ीज़ ग़ैरों में अपना नाम लिखा लेना चाहिए