दिल को दुनिया से उठाएँगे चले जाएँगे ख़ाक हस्ती की उड़ाएँगे चले जाएँगे ये परिंदे जो मुंडेरों पे खुली धूप में हैं बाल-ओ-पर अपने सुखाएँगे चले जाएँगे इक नज़र देख जब आईना बनाया है हमें हम तिरे होश उड़ाएँगे चले जाएँगे जो किसी को भी समझ में नहीं आएँगे वही ज़िंदगी क्या है बताएँगे चले जाएँगे हम तो बस उन की अँगीठी का बचा ईंधन हैं दिल वो फिर आ के जलाएँगे चले जाएँगे मेरा ख़ालिक़ भी तो देखे वो है कैसा ख़ालिक़ आइना उस को दिखाएँगे चले जाएँगे ऐ ख़ुदा क्या तिरी दुनिया को बना कर दोज़ख़ अपनी जन्नत वो कमाएँगे चले जाएँगे हसरत-ए-दाद भी अब दिल में नहीं है 'पिंहाँ' मुफ़्त में शे'र सुनाएँगे चले जाएँगे