दिल को है उस की चाह क्या करिए हो गया इश्क़ आह क्या करिए इश्क़ में आह आह किया करिए ज़िंदगी यूँ तबाह किया करिए बा-वफ़ा हो कि बेवफ़ा कुछ हो गर न करिए निबाह क्या करिए जो किसी का हुआ न हो अब तक उस से उम्मीद आह क्या करिए उस पे ही जब निगाह ठहरी हो फिर किसी पर निगाह क्या करिए इश्क़ सा जब गुनाह कर डाला और कोई गुनाह किया करिए जिस पे 'आलम' असर न हो कुछ भी दिल में ऐसे के राह किया करिए