दिल को लूँगा न दिल-रुबा के एवज़ मुद्दई और मुद्दआ के एवज़ उस के कूचे में नक़्श-ए-पा उस के बन गए ख़िज़्रर-ए-हनुमा के एवज़ ये भी अरमान रह गया दम-ए-नज़अ काश आता कोई क़ज़ा के एवज़ यही इक़रार था यही वा'दा अब जफ़ा होती है वफ़ा के एवज़ मेरे जीने से क्या तुम्हें हासिल ज़हर दे दो मुझे दवा के एवज़ शौक़ अगर आप को है मेहंदी का ख़ून मल लीजिए हिना के एवज़ क्या जहन्नुम में मुझ को जाना है तुम को चाहूँ बुतो ख़ुदा के एवज़ तुम को चाहा यही क़ुसूर हुआ दो सरा मुझ को इस ख़ता के एवज़ 'हामिद'-ए-ज़ार क्या कहूँ उन से है दुआ लब पे मुद्दआ के एवज़