दिल लिया और बेवफ़ाई की दाद देता हूँ दिलरुबाई की ज़िंदगानी थी दूर मंज़िल से मौत ने आ के रहनुमाई की क़ाफ़िले जिस ने कर दिए हैं तबाह उस से उम्मीद-ए-रहनुमाई की वस्ल में लुत्फ़ है ब-क़द्र-ए-फ़िराक़ काश बढ़ जाए शब जुदाई की मंज़िल-ए-इश्क़ में मिसाल-ए-ख़िज़्र दिल ने ख़ुद मेरी रहनुमाई की तुझ से वाक़िफ़ है इक जहाँ 'नय्यर' क्या ज़रूरत है ख़ुद-नुमाई की