तू मसीहा है तिरी एक अदा काफ़ी है जाँ-ब-लब को तिरे दामन की हवा काफ़ी है जब भी याद आऊँ तसव्वुर में तसव्वुर करना मुझ से मिलने के लिए इतना पता काफ़ी है मेरी नज़रों की ख़ता कम है तिरे सर की क़सम मेरे दिलबर तिरे जलवों की ख़ता काफ़ी है तेरी फ़ुर्क़त ने जवानी का मज़ा छीन लिया चाहने वाले को बस इतनी सज़ा काफ़ी है काम आते नहीं ता-उम्र ये मिट्टी के चराग़ आप की याद का बस एक दिया काफ़ी है सारी दुनिया की दुआएँ मैं कहाँ रक्खूँगा मेरी बख़्शिश के लिए माँ की दुआ काफ़ी है फूल की तरह खिले हैं तिरे ज़ख़्मों के गुलाब और क्या चाहिए 'दिलकश' ये दवा काफ़ी है