दिल में ग़म की कनी नहीं होती ज़िंदगी ज़िंदगी नहीं होती सिर्फ़ होंटों पे जो बिखर जाए वो हँसी तो हँसी नहीं होती दिल तो रोता है ख़ून के आँसू आँख में गो नमी नहीं होती गरचे हर दम वो पास रहते हैं हसरतों में कमी नहीं होती तेरे क़दमों पे जिस का दम निकले इस से बढ़ कर ख़ुशी नहीं होती तेरे उठते ही बज़्म-ए-रिंदाँ से दूर तक रौशनी नहीं होती इक तही-जाम और इक सरशार यूँ तो साक़ी-गरी नहीं होती दिल-ए-आशिक़ है पुर-बहार 'हबीब' याँ ख़िज़ाँ ही कभी नहीं होती