दिल में अपने मोहब्बतें रखना दोस्तों से रिफाक़तें रखना आ निकलना कभी हमारी तरफ़ चंद लम्हों की फ़ुर्सतें रखना अश्क आहें तवील तन्हाई हम पे ये भी इनायतें रखना रंजिशें छोड़ कर गले मिल लो क्या ज़रूरी है नफ़रतें रखना सख़्त पत्थर भी मोम हो जाए दो घड़ी मुझ से क़ुर्बतें रखना दिल का रिश्ता रक़ीब से है अगर किस लिए फिर रिक़ाबतें रखना 'राज' वो तुझ को रंज दे लेकिन तू न उस से शिकायतें रखना