दिल में बंदों के बहुत ख़ौफ़-ए-ख़ुदा था पहले ये ज़माना कभी इतना न बुरा था पहले राम के राज की तस्वीर थी अपनी धरती मसलक-ए-फ़िक्र-ओ-अमल उन्स-ओ-वफ़ा था पहले एक इंसान से बे-वज्ह हो इंसान को बैर ये वतीरा कभी देखा न सुना था पहले हिंदू-ओ-मुस्लिम-ओ-ईसाई-ओ-सिख मेल से थे आपसी प्रेम का उल्फ़त का मज़ा था पहले क़ौमी यक-जेहती का आदर्श था ये भारतवर्ष हम ने पैग़ाम-ए-विला सब को दिया था पहले बादशाह और गदा सब के बराबर थे हुक़ूक़ न्याय में कोई भी छोटा न बड़ा था पहले रास्त-गोई थी यहाँ ग़ैर-मुक़फ़्फ़ल थे मकाँ देश में ऐसा भी इक दौर रहा था पहले देश में फिर से मोहब्बत हो रवादारी हो काश आ जाए ज़माना जो रहा था पहले मौजज़न रहता था तूफ़ान-ए-उख़ूवत ऐ 'मौज' दिल में तूफ़ान मोहब्बत का बसा था पहले