दिल में महक रहे हैं किसी आरज़ू के फूल पलकों पे खिलने वाले हैं शायद लहू के फूल अब तक है कोई बात मुझे याद हर्फ़ हर्फ़ अब तक मैं चुन रहा हूँ किसी गुफ़्तुगू के फूल कलियाँ चटक रही थीं कि आवाज़ थी कोई अब तक समाअतों में हैं इक ख़ुश-गुलू के फूल मेरे लहू का रंग है हर नोक-ए-ख़ार पर सहरा में हर तरफ़ हैं मिरी जुस्तुजू के फूल दीवाने कल जो लोग थे फूलों के इश्क़ में अब उन के दामनों में भरे हैं रफ़ू के फूल