दिल मिरा टूटा तो उस को कुछ मलाल आ ही गया अपने बचपन के खिलौने का ख़याल आ ही गया हश्र में मज़लूम सब चुप रह गए मुँह देख कर आख़िर इस ज़ालिम के काम उस का जमाल आ ही गया हँस के बोला जब फँसा बालों में ख़ूँ-आलूदा दिल जाल फैलाया था मैं ने उस में लाल आ ही गया छुप के गर माह-ए-सियाम आता तो मय क्यूँ छूटती क्या करूँ मैं सामने मेरे हिलाल आ ही गया दिल था उस का लेकिन अब हम मर के देंगे हूर को वो पशेमाँ है कि वक़्त-ए-इंतिक़ाल आ ही गया काँप उठे ग़ुस्से से वो सुन कर मिरी फ़रियाद को नग़्मा ऐसा था कि आख़िर उन को हाल आ ही गया मेरी नज़रों से कोई ऐ 'शौक़' सीखे जज़्ब-ए-इश्क़ बन के तिल आँखों में उस के रुख़ का ख़ाल आ ही गया