दिल न करे अगर यक़ीं दिल पे है इख़्तियार क्या आप पे ए'तिबार है वा'दे का ए'तिबार क्या राख पड़ी तो दब गया राख हटी भड़क उठा शो'ले की रौशनी ही क्या शो'ले का ए'तिबार क्या मंज़िल-ए-ग़म का बन गया राह-नुमा जुनून-ए-शौक़ होश का आसरा ग़लत होश का ए'तिबार क्या आइना अक्स के बग़ैर कैसे भला चमक सके जल्वा-फ़गन नहीं हुआ परतव-ए-हुस्न-ए-यार क्या कैसा बिखर के रह गया हुस्न-ए-तिलिस्म-ए-रंग-ओ-बू तोड़ दिया ख़िज़ाँ ने आज आइना-ए-बहार क्या हिज्र की रात कट गई यास में और आस में सुब्ह-ए-पयाम लाएगी 'अख़्तर'-ए-बे-क़रार क्या