दिल ने फ़रेब इश्क़ में खाए कहाँ कहाँ दरमांदगी में अश्क बहाए कहाँ कहाँ सज्दे कहाँ कहाँ न किए राह-ए-शौक़ में का'बे क़दम क़दम पे बसाए कहाँ कहाँ बज़्म-ए-बहार-ए-कुंज-ए-हरम सेहन-ए-मय-कदा दीवानगी ने हश्र उठाए कहाँ कहाँ हर मंज़र-ए-बहार में तेरा जमाल है वहशत सर-ए-नियाज़ झुकाए कहाँ कहाँ आग़ाज़-ए-ग़म उरूज-ए-जुनूँ इंतिहा-ए-शौक़ वो ज़िंदगी में याद न आए कहाँ कहाँ 'मज़हर' शब-ए-फ़िराक़ की ज़ुल्मत न धुल सकी हम ने चराग़-ए-दाग़ जलाए कहाँ कहाँ