दिल ने कर दी है ख़म जबीं आ जा ऐ मिरी रूह के मकीं आ जा दिल है शीशे का हिज्र पत्थर सा दर्द की पार कर ज़मीं आ जा बिन तिरे बे-समर हयाती है दिल की बंजर हुई ज़मीं आ जा तुझ को इख़्लास से पुकारा है सुन के आवाज़ हम-नशीं आ जा आरज़ू दिल की दीद हो तेरी सुन मिरे माह-रू हसीं आ जा इश्क़ इक राज़ बन गया जब से चैन पल भर को भी नहीं आ जा रूह का 'शाज़' वो जो महरम है उस से कह दो कि दिल-नशीं आ जा