सब का सब सामान समेटा जल्दी में छोड़ आया हूँ घर मैं अपना जल्दी में अपने दिल के सब दरवाज़े बंद किए छोड़ दिया है इक दरवाज़ा जल्दी में बीच शहर में ख़ाली पिंजरा रक्खा था आ बैठा है एक परिंदा जल्दी में मैं ने उस से प्यार का मतलब पूछा था उस ने मेरी जानिब देखा जल्दी में उस के कुछ किरदार अधूरे रहते हैं लिखता हूँ मैं जो अफ़्साना जल्दी में