दिल परेशाँ आँख वीराँ और हम हैं हज़ारों रंज-ओ-हिरमाँ और हम इक तरफ़ वो और बज़्म-ए-फ़स्ल-ए-गुल इक तरफ़ है चाक-ए-दामाँ और हम दिल-शिकस्ता रूह बे-कल अश्क-ए-ख़ूँ ये हमारा साज़-ओ-सामाँ और हम जी रहे हैं हम भी कैसी ज़िंदगी ज़ख़्म-ख़ुर्दा अपने अरमाँ और हम मश्ग़ला है एक मुद्दत से यही जुस्तजू-ए-ज़ौक़-ए-इरफ़ाँ और हम