दिल शिकस्ता है रूह प्यासी है एक बे-नाम सी उदासी है रंज क्या ऐश क्या तमीज़ किसे सिलसिला-वार बद-हवासी है साफ़-गोई कि वस्फ़ थी पहले इन दिनों जुर्म-ए-नारवा सी है कितना आसाँ है मो'तबर होना कितनी दुश्वार ख़ुद-शनासी है मेरी इस्याँ-निगाही का मौजिब आप की मुख़्तसर-लिबासी है थोड़ी जुरअत से क्या नहीं होता फिर वो लड़की भी आदि-बासी है मेरे शे'रों में फ़न नहीं न सही आप की राय इक़तिबासी है रेशमी ज़ुल्फ़ चाँद-सा चेहरा सर पे आँचल मगर कपासी है प्यासी प्यासी है आरज़ू 'अफ़ज़ल' मम्लिकत दिल की कर्बला सी है