एहतियातन कोई जवाब न दे प्याला बे-ज़र्फ़ है शराब न दे दायरा-बंद मुश्क-बू को सदा ऐ दिल-ए-ख़ानुमाँ-ख़राब न दे ख़ातिर-ए-ज़ूद-रंज रखता हूँ ना-दमीदा कोई गुलाब न दे हादसे में शरीक थे कितने मेहरबाँ झूट सच हिसाब न दे ख़्वाब-ए-अस्लाफ़ ख़्वाब है अब तक अज़-सर-ए-नौ मज़ीद ख़्वाब न दे कार-ए-बे-सूद है मुझे नाहक़ क़द से ऊँचा कोई ख़िताब न दे जाँच हालात के तनाज़ुर में जुर्म का फ़ैसला शिताब न दे कौन सुनता है किसी का 'अफ़ज़ल' रोज़-ओ-शब दर्स-ए-इंक़लाब न दे