दिल तवंगर का हो कि मुफ़्लिस का इश्क़ पर इख़्तियार है किस का रिश्ते-नाते तो नाम के हैं बस इस ज़माने में कौन है किस का पाँव उस के भी तो ज़मीं पर हैं आसमाँ पर दिमाग़ है जिस का क़ब्ल-अज़-वक़्त करती है महसूस तज्रबा तेज़ है छटी हिस का ऐब देखेंगे लोग बोलेंगे बंद मुँह कीजिएगा किस किस का आने वाला सलाम करता है है ये 'साबिर' उसूल मज्लिस का