दिलों में रंजिशें हैं By Ghazal << दिल में जब शो'ला-ए-एह... अश्क पीना पड़ा ग़म छुपाना... >> दिलों में रंजिशें हैं ये किस की साज़िशें हैं मैं फिर भी डर रहा हूँ ख़बर है बख़्शिशें हैं अगर दिल आइना हो बहुत गुंजाइशें हैं बढ़ी जाती है सोज़िश ये कैसी बारिशें हैं फ़लक क्या चाहता है मुसलसल गर्दिशें हैं Share on: