दिल-सितानी दिलरुबाई पर घमंड आप को है ख़ुश-अदाई पर घमंड जानता हूँ उस का निभना है मुहाल क्या करूँ मैं पारसाई पर घमंड नाज़ है क़ातिल को अपनी तेग़ पर तेग़ को है कज-अदाई पर घमंड रहम उन को हाल-ए-ग़म पर आ गया दिल करे बे-दस्त-ओ-पाई पर घमंड आसियों को रहमत-ए-हक़ पर ग़ुरूर ज़ाहिदों को जब्हा-साई पर घमंड गुफ़्तुगू भी मुझ से तुम करते नहीं इस क़दर इस ख़ुश-अदाई पर घमंड पर्दा-ए-दर पर किसी को नाज़ है हम को नज़रों की रसाई पर घमंड अब उन्हें है दिल-नवाज़ी का ख़याल था जिन्हें तेग़-आज़माई पर घमंड फिर गिरफ़्तार-ए-क़फ़स हो जाऊँगा है अबस मुझ को रिहाई पर घमंड हो गया जिस के सबब से मैं असीर था मुझे उस ख़ुश-नवाई पर घमंड ग़र्क़ कर देगा उन्हें तूफ़ान-ए-इश्क़ 'नूह' को है ना-ख़ुदाई पर घमंड