दिन भले जैसा कटे साँझ समय ख़्वाब तो देख छोड़ ता'बीर के ख़द्शों को अरे ख़्वाब तो देख झोंपड़ी में ही बना अपने ख़यालों का महल गो पुराना है बिछौना तो नए ख़्वाब तो देख तेरा हर ख़्वाब मसर्रत की बशारत लाए सच तिरे ख़्वाब हों अल्लाह करे ख़्वाब तो देख दिल शिकस्ता मैं हुआ जब भी मिरा दिल टूटा हौसले आगे बढ़े कहने लगे ख़्वाब तो देख तुझे वो बात भी आएगी समझ यार मिरे जो है इदराक की सरहद से परे ख़्वाब तो देख गुत्थियाँ सारी सुलझ जाएँ कि हों और सिवा तू ज़रा हाथ बढ़ा थाम सिरे ख़्वाब तो देख नींद के ख़्वाब तिरे ख़ौफ़ के घर हैं भी तो क्या नींद को छोड़ तो जब सुब्ह उठे ख़्वाब तो देख