दिया हम वफ़ा का जला कर चलेंगे जहाँ इक नया हम बसा कर चलेंगे बुरे भी नहीं कुछ ख़ता भी नहीं है दिलों में सभी के समा कर चलेंगे जहाँ पर हमें जो जुदा कर रहे हैं वहाँ हम सभी का भला कर चलेंगे ख़ता पर मिरी क्यों नज़र है सभी की यहीं पर सज़ा हम अदा कर चलेंगे दुआ हम करेंगे सलामत रहें सब वफ़ा की अदा हम निभा कर चलेंगे