दोनों ने अपने हाथ का लिक्खा हुआ मिटा दिया तुम ने मुझे भुला दिया मैं ने तुम्हें भुला दिया हिज्र के दाग़ के सिवा बुझते चराग़ के सिवा मैं ने किसी को क्या दिया मुझ को किसी ने क्या दिया दर्द के फ़ासले में था वो अभी रास्ते में था रात अभी सफ़र में थी किस ने दिया बुझा दिया वो तिरी गर्द-ए-पा न था और जिला-वतन हुआ तू ने कहाँ की ख़ाक को ला के कहाँ उड़ा दिया